भारतीय न्याय संहिता 2023 PDF Download in Hindi | कानून, जुर्म और सजा के नए नियमों की लिस्ट

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने शुक्रवार को लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita Bill 2023) पेश किया। अब IPC की धारा 420, 302 और 144 जैसी धाराओं का नाम बदल जाएगा। भारतीय न्याय संहिता 2023 एक नया कानून है जो भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली को सुधारने के लिए बनाया गया है भारतीय न्याय संहिता में 356 धाराएं होंगी। पहले की 511 धाराओं के स्थान पर अब 356 धाराएं होंगी, 175 धाराओं में बदलाव किया गया है, 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 22 धाराओं को निरस्त किया गया है । भारतीय न्याय संहिता 2023 PDF Download in Hindi, English यहाँ उपलब्ध है जिसकी मदद से आप कानून, अपराध और धारा में हुए बदलाव को देख सकते है।

यह कानून 1860 की भारतीय दंड संहिता (IPC) और 1973 की भारतीय साक्ष्य अधिनियम (EA) को बदल देगा । आईसीसी में कई नए प्रावधान हैं जो महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों, साइबर अपराधों और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। यह कानून भी आपराधिक प्रक्रिया को तेज और कुशल बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

आईसीसी को भारतीय संसद द्वारा 2022 में पारित किया गया था और यह 2023 में लागू हुआ था. यह कानून भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली में एक बड़ा बदलाव है और यह देश को एक अधिक सुरक्षित और न्यायपूर्ण जगह बनाने की उम्मीद है. आईसीसी एक महत्वपूर्ण कानून है जो भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली को सुधारने की उम्मीद है. यह कानून देश को एक अधिक सुरक्षित और न्यायपूर्ण जगह बनाने में मदद करेगा.

आईसीसी के कुछ प्रमुख प्रावधानों में शामिल हैं:

  1. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को कठोर सजा दी जाएगी : उदाहरण के लिए, किसी महिला को धोखा देकर उसके साथ यौन संबंध बनाने के लिए अब 10 साल से 20 साल तक की सजा का प्रावधान है.
  2. साइबर अपराधों को कठोर सजा दी जाएगी : उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति को धमकी देने या अपमानित करने के लिए अब 3 साल से 7 साल तक की सजा का प्रावधान है.
  3. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को मजबूत किया जाएगा : उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए अब 10 साल से 20 साल तक की सजा का प्रावधान है.
  4. आपराधिक प्रक्रिया को तेज और कुशल बनाया जाएगा :उदाहरण के लिए, अब विशेष अदालतें गठित की जाएंगी, जो आपराधिक मामलों की सुनवाई तेजी से कर सकेंगी.
  5. पीड़ितों के अधिकारों को मजबूत किया जाएगा : उदाहरण के लिए, अब पीड़ितों को मुआवजा पाने का अधिकार होगा और उन्हें अदालत में गवाही देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकेगा.
  6. न्याय के लिए पहुंच को आसान बनाया जाएगा: अब पीड़ितों को अपने मामलों को निपटाने के लिए सरकारी सहायता प्राप्त होगी.

भारतीय न्याय संहिता 2023 मूल रूप से महिलाओ और बच्चो के खिलाफ अपराध , साइबर अपराध, आतंकवाद, आपराधिक प्रक्रिया , पीड़ितों की अधिकार , न्याय के लिए पहुंच वगैरह मुद्दों को ज्यादा सुरक्षित और न्यायपूर्ण बनाने की कोशिश की गयी है।

अपराधपहलेअब
हत्याधारा-302101
धोखाधड़ीधारा-420धारा-316
भीड़भाड़-हंगामाधारा-144धारा-187
देश के खिलाफ षड्यंत्रधारा-121धारा-145
देश के खिलाफ गतिविधियांधारा-121एधारा-146
मानहानिधारा- 499धारा-354
रेप376धारा-63 में रेप, 64 में सजा, गैंगरेप 70 में
मानहानिसेक्शन 499 और 500धारा-354
धरना प्रदर्शन या दंगा-फसाद147,148,149नया सेक्शन
निषेधाज्ञा के उल्लंघन परसेक्शन 188नया सेक्शन
राजद्रोह कानूनधारा- 124 एधारा-150

किस कानून में कितनी धाराएं ?

  1. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता CrPC को रिप्लेस करेगी। इसमें अब 533 धाराएं रहेंगी। 160 धाराओं को बदल दिया गया है , 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 9 धाराओं को निरस्त किया गया है।
  2. भारतीय न्याय संहिता IPC को रिप्लेस करेगी। इसमें पहले की 511 धाराओं के स्थान पर अब 356 धाराएं होंगी। 175 धाराओं में बदलाव किया गया है, 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 22 धाराओं को निरस्त किया गया है।
  3. भारतीय साक्ष्य विधेयक Evidence Act को रिप्लेस करेगा। इसमें पहले की 167 के स्थान पर अब 170 धाराएं होंगी, 23 धाराओं में बदलाव किया गया है, 1 नई धारा जोड़ी गई है और 5 धाराएं निरस्त की गई हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ये तीनों पुराने कानून गुलामी की निशानियों से भरे हुए थे और इन्हें ब्रिटेन की संसद ने पारित किया था। कुल 475 जगह ग़ुलामी की इन निशानियों को समाप्त कर हम भारतीय न्याय संहिता के भीतर नए कानून लेकर आए हैं।

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कानून में दस्तावेज़ों की परिभाषा का विस्तार कर इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड्स, ई-मेल, सर्वर लॉग्स, कम्प्यूटर, स्मार्ट फोन, लैपटॉप्स, एसएमएस, वेबसाइट, लोकेशनल साक्ष्य, डिवाइस पर उपलब्ध मेल, मैसेजेस को कानूनी वैधता दी गई है। FIR से केस डायरी, केस डायरी से चार्जशीट और चार्जशीट से जजमेंट तक की सारी प्रक्रिया को डिजिटलाइज़ करने का प्रावधान इस कानून में किया गया है। आशा करते है आपको भारतीय न्याय व्यवस्था में हुए यह बदलाव पसंद आए होंगे। भारतीय न्याय संहिता 2023 में हुए इस बदलाव को लेकर अपने विचार हमें व्यक्त कर सकते है।

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